
पिछले कुछ सालों में, कॉमर्शियल फिश ऑयल प्रोडक्ट्स की क्वालिटी और प्योरिटी पर काफी फोकस आया है, खासकर Total Oxidation (TOTOX) वैल्यू के नजरिए से। ये पैरामीटर अब फिश ऑयल सप्लीमेंट्स की सेफ्टी और एफिकेसी पर होने वाली डिस्कशन का मेन पॉइंट बन गया है, जिन्हें लोग ग्लोबली ओमेगा-3 फैटी एसिड्स के लिए लेते हैं, जो कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ, इंफ्लेमेशन कम करने और ब्रेन फंक्शन सपोर्ट करने के लिए जाने जाते हैं (Smith et al., 2020)।
TOTOX क्या है?
TOTOX वैल्यू एक एनालिटिकल पैरामीटर है, जिससे ऑयल्स (फिश ऑयल समेत) में ऑक्सिडेशन का लेवल चेक किया जाता है। ये वैल्यू पेरॉक्साइड और एनीसिडिन टेस्ट्स के रिजल्ट्स को मिलाकर निकाली जाती है, जो प्राइमरी और सेकेंडरी ऑक्सिडेशन प्रोडक्ट्स को मापते हैं। कम TOTOX स्कोर का मतलब है ऑयल ज्यादा फ्रेश और कम ऑक्सिडाइज्ड है, जो कंजम्पशन के लिए बेस्ट है। ऑक्सिडेशन एक नैचुरल प्रोसेस है, जो न सिर्फ ऑयल को खराब करता है, बल्कि उसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू भी कम कर सकता है और कुछ हार्मफुल कंपाउंड्स भी बना सकता है (Jones, 2018)।
फिश ऑयल में ऑक्सिडेशन स्टेबिलिटी की इंपॉर्टेंस
फिश ऑयल में पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स (PUFAs) की हाई क्वांटिटी होने की वजह से ये ऑक्सिडेशन के लिए काफी सेंसिटिव होता है। जब फिश ऑयल ऑक्सिडाइज होता है, तो उसमें अजीब फ्लेवर, स्मेल आ सकते हैं और सबसे बड़ी बात, ऐसे ऑक्सिडेटिव बाय-प्रोडक्ट्स बन सकते हैं जो लंबे टाइम तक लेने पर हेल्थ रिस्क बन सकते हैं। इसलिए ऑक्सिडेटिव स्टेबिलिटी फिश ऑयल प्रोडक्ट्स के लिए एक क्रिटिकल क्वालिटी पैरामीटर है, जो उनके हेल्थ बेनिफिट्स और टेस्ट दोनों को इन्फ्लुएंस करता है (Brown and Jacobs, 2019)।
कंट्रोवर्सी और कंसर्न्स
कॉमर्शियल फिश ऑयल में TOTOX वैल्यूज को लेकर जो कंट्रोवर्सी है, वो मेनली मैन्युफैक्चरर्स द्वारा रिपोर्ट किए गए ऑक्सिडेशन लेवल्स की ट्रांसपेरेंसी और एक्युरेसी पर घूमती है। लोग इस बात को लेकर टेंशन में हैं कि अगर ऑक्सिडाइज्ड फिश ऑयल कंज्यूम किया जाए, तो उससे हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स के फायदों पर पानी फिर सकता है।
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स्टैंडर्डाइजेशन की कमी: fish oil में TOTOX वैल्यूज के लिए कोई यूनिवर्सली एक्सेप्टेड स्टैंडर्ड नहीं है, जिससे अलग-अलग प्रोडक्ट्स और मैन्युफैक्चरर्स के बीच क्वालिटी स्टैंडर्ड्स में वैरिएबिलिटी आ जाती है। ये इनकंसिस्टेंसी कंज्यूमर्स के लिए इनफॉर्म्ड चॉइस लेना मुश्किल बना देती है (Williams, 2017)।
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मार्केटिंग बनाम रियलिटी: कुछ मैन्युफैक्चरर्स अपने fish oil की ऑक्सीडेशन स्टेटस पूरी तरह से डिस्क्लोज नहीं करते, या फिर वो लोअर TOTOX वैल्यूज क्लेम करते हैं जो प्रोडक्ट के कंजम्प्शन टाइम पर उसकी रियल स्टेट को शो नहीं करती। ये डिफरेंस इनएडिक्वेट टेस्टिंग मेथड्स या स्टोरेज और हैंडलिंग के दौरान ऑयल की क्वालिटी में बदलाव के कारण हो सकता है (Taylor, 2020)।
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रेगुलेटरी ओवरसाइट: डाइटरी सप्लीमेंट इंडस्ट्री, जिसमें fish oil प्रोडक्ट्स भी आते हैं, अक्सर फार्मास्युटिकल्स के मुकाबले कम स्ट्रिक्ट रेगुलेटरी ओवरसाइट फेस करती है। ये लूज एनवायरनमेंट प्रोडक्ट क्वालिटी और सेफ्टी में डिफरेंस ला सकता है, जिससे कुछ प्रोडक्ट्स में TOTOX वैल्यूज हेल्दी लिमिट से ज्यादा हो सकती हैं (Davis and Miller, 2021)।
हाई TOTOX वैल्यूज के हेल्थ इम्प्लीकेशन्स
ऑक्सीडाइज्ड fish oil कंज्यूम करने से कई नेगेटिव हेल्थ इफेक्ट्स हो सकते हैं। ऑक्सीडेशन प्रोडक्ट्स बॉडी में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ा सकते हैं, जिससे सेलुलर डैमेज और इंफ्लेमेशन हो सकता है। अगर कोई लंबे समय तक हाईली ऑक्सीडाइज्ड fish oil लेता है, तो इससे हार्ट डिजीज और आर्थराइटिस जैसी क्रॉनिक डिजीजेस और भी ज्यादा बढ़ सकती हैं, जो कि उन सप्लीमेंट्स को लेने का मेन मकसद ही अंडरमाइन कर देता है (Lee and Kim, 2018)।
आगे का रास्ता
fish oil में हाई TOTOX वैल्यूज से जुड़े इश्यूज को कम करने के लिए कुछ स्टेप्स लिए जा सकते हैं:
- इम्प्रूव्ड इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स: TOTOX वैल्यूज को मापने और रिपोर्ट करने के लिए क्लियर, यूनिवर्सली एक्सेप्टेड गाइडलाइंस बनाना fish oil क्वालिटी को स्टैंडर्डाइज करने में हेल्प कर सकता है (Smith et al., 2020)।
- बेहतर कंज्यूमर एजुकेशन: कंज्यूमर्स को TOTOX और उसके इम्प्लीकेशन्स के बारे में एजुकेट करना उन्हें fish oil प्रोडक्ट्स चुनते वक्त बेहतर डिसीजन लेने के लिए एम्पावर कर सकता है (Jones, 2018)।
- बेहतर टेस्टिंग और ट्रांसपेरेंसी: मैन्युफैक्चरर्स को ज्यादा रिगोरस टेस्टिंग मेथड्स अपनाने और अपने रिजल्ट्स को ट्रांसपेरेंटली शेयर करने के लिए मोटिवेट करना प्रोडक्ट क्वालिटी और कंज्यूमर ट्रस्ट को काफी इंप्रूव कर सकता है (Williams, 2017)।
निष्कर्ष
जहाँ fish oil के हेल्थ बेनिफिट्स को लेकर लोग अभी भी काफी एक्साइटेड हैं, वहीं TOTOX वैल्यूज को लेकर चल रही कंट्रोवर्सी ये दिखाती है कि इंडस्ट्री में ज्यादा ट्रांसपेरेंसी और स्ट्रिक्ट क्वालिटी कंट्रोल्स की जरूरत है। अगर इन इश्यूज को एड्रेस किया जाए, तो मार्केट कंज्यूमर्स को ये भरोसा दिला सकता है कि जो fish oil सप्लीमेंट्स वो ले रहे हैं, वो न सिर्फ इफेक्टिव हैं बल्कि सेफ भी हैं। जैसे-जैसे रिसर्च fish oil ऑक्सीडेशन की कॉम्प्लेक्सिटी को और खोलती जा रही है, मैन्युफैक्चरर्स और रेगुलेटरी बॉडीज दोनों के लिए जरूरी है कि वो स्टैंडर्ड्स को अडॉप्ट और एनफोर्स करें ताकि कंज्यूमर हेल्थ प्रोटेक्ट हो सके (Davis and Miller, 2021)।